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Friday, 15 May 2020

डायबिटीज कैसे छुटकारा पाऐ

सबसे पहले समझते हैं कि डायबिटीज आखिर है क्या ?
डायबिटीज वो अवस्था है जिसमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है.शक्कर ( ग्लूकोज) ज्यादा खाने से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ती है. इन्सुलिन वो हार्मोन है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित कर खाने को ऊर्जा में बदलता है. जब इन्सुलिन का स्तर लगातार बढ़ता जाता है तो इस हार्मोन के प्रति शरीर संवेदनहीन होने लगता है. नतीजा ये होता है कि खून में ग्लूकोज यानी चीनी की मात्रा बढ़ने लगती है. हाई ब्लड शुगर शरीर के तमाम अंगों पर असर डालता है.

वैसे तो डायबिटीज अपने-आप में कोई बीमारी नहीं है, 
लेकिन इसकी वजह से बहुत-सी बीमारियां हो सकती हैं. ये पैरों की उंगलियों से लेकर आंख तक को प्रभावित करती है. इससे हड्डियों पर सीधा असर पड़ता है. डायबिटीज जन्म के साथ ही बच्चे को भी हो सकती है और ये आनुवांशिक (genetic) भी हो सकती है. ये दो तरह की होती है. 
टाइप 1 और
टाइप 2.

टाइप 1 बच्चों में देखा जाता है जो कि जेनेटिक होता है,
वहीं टाइप 2 को लाइफस्टाइल डिसीज मान सकते हैं.

एक खास डायट अपनाने से डायबिटीज के मरीज दवा छोड़ सामान्य जिंदगी बिता सकते हैं।
बीमारी नहीं है ये न्यूट्रिशनिस्ट डॉ चौधरी का मानना है कि डायबिटीज कोई बीमारी नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ एक कंडीशन है, ठीक वैसे ही जैसे तेज दौड़ने पर सेहतमंद इंसान के ब्लड प्रेशर का बढ़ना. शुगर का ब्लड में एक लेवल से ज्यादा होना डायबिटीज कहला सकता है. उनके अनुसार ये 3 दिनों के भीतर खत्म किया जा सकता है.
इस बाबत उन्होंने एक स्टडी भी की. 
इसमें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से 55 मरीज लिए गए ताकि बीमारी के इलाज का ग्लोबल इंपैक्ट जांचा जा सके. 
इन मरीजों में टाइप 1 और 2 दोनों ही श्रेणियों के लोग शामिल थे. 
जो मरीज इंसुलिन पर थे, उनकी दवाएं बंद कर दी गईं और उन्हें तीन दिनों तक एक खास डायट पर रखा गया. कोई मेडिकल कॉम्प्लिकेशन न हो, इसके लिए वे लगातार डॉक्टरों की निगरानी में रहे. इस पूरी अवधि में लगातार ब्लड शुगर की मॉनीटरिंग हुई और लगातार कंट्रोल में आते-आते 3 दिनों के भीतर ये सामान्य हो गया.

स्टडी के नतीजे ये रहे 3 दिनों यानी 72 घंटों के भीतर
टाइप 1 डायबिटीज के 57% मरीजों का इंसुलिन छूट गया, वहीं बाकी वहीं 43% का इंसुलिन इन्टेक काफी कम हो गया.
टाइप 2 डायबिटीज के मरीजो ने डायट पर और भी बेहतर प्रतिक्रिया दी.
इसमें 84% मरीजों में ब्लड ग्लूकोज कंट्रोल हो गया और इंसुलिन पूरी तरह से बंद हो गया. ऐसे मरीज जो इंसुलिन पर नहीं थे, उनका ब्लड शुगर सामान्य हो गया और उनकी बाकी की दवाएं जैसे ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और एसिडिटी की दवाओं की जरूरत भी खत्म हो गई.

स्टडी में बताया गया कि अगर शुरुआत में ही हम दवा की बजाए 3 स्टेप फॉलो करें तो दवाओं की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.ये प्लांट बेस्ड डायट है जिसमें लाइव एंजाइम होते हैं
क्या हैं वो 3 चरण 
1. सुबह 12 बजे तक सिर्फ फल ही खाना है, किसी भी तरह का अनाज या पानी और नारियल पानी के अलावा कोई तरल नहीं.ये वजन के अनुसार खाना है. जैसे आपका वजन 60 किलोग्राम है तो कम से कम 600 ग्राम फल, भूख लगे तो इससे ज्यादा भी ले सकते हैं।
फलों पर कोई रेस्ट्रिक्शन नहीं कि मीठा कम हो, किसी भी तरह के अपनी पसंद के फल ले सकते हैं।
लेकिन आपको सुबह की चाय भी नहीं पीना है खाली पेट दिन में इक बार लंच के बाद चाय ले सकते हो यदि जरूरी हो।  
2. लंच और डिनर से लगभग घंटा भर पहले बॉडी वेट के हिसाब से सलाद लें, जैसे गाजर, मूली, टमाटर, खीरा, ककड़ी या जो भी मौसमी सलाद हो. शर्त ये है कि ये कच्चे और अच्छी तरह से धुले हुए हों. आपका वजन जितना भी है, उसे 5 से गुणा कर दें, जैसे आपका वजन 60 किलोग्राम है तो 300 ग्राम सलाद खानी होगी.
उसके बाद आप अपना लंच ले सकते हो

3. तीसरे और आखिरी स्टेप के तहत दूध और इससे बनी सारी चीजें बंद करनी होंगी जैसे दही, छाछ, फ्लेवर्ड दूध, दूध, पनीर, चीज या मिठाइयां. साथ ही हर तरह का पैकेज्ड फूड बंद करना होगा.स्टडी में इस डायट को डीआईपी (Disciplined and Intelligent People) डायट नाम दिया गया. ये प्लांट बेस्ड डायट है जिसमें लाइव एंजाइम होते हैं.

दूध और इससे बनी सारी चीजें बंद करनी होंगी ऐसे पहचानें समय रहते अक्सर डायबिटीज शुरुआत में ही अपने सारे संकेत देती है. तभी इसे पहचान लिया जाए तो कभी दवाओं की नौबत ही नहीं आएगी. इस दावे के साथ डॉ चौधरी डायबिटीज को उसके लक्षणों के आधार पर पहचानने की बात करते हैं जैसे वजन एकदम से कम हो जाए, दिन में नींद आने लगे, जल्दी थकान हो, आंखों के नीचे सूजन दिखे, यूरिनेट करने पर आसपास चींटियां इकट्ठा हो जाएं और जल्दी-जल्दी भूख लगे. इस तरह के लक्षण नजर आएं तो तुरंत ब्लड शुगर लेवल की जांच और डीआईपी डायट का तरीका आजमाने पर डायबिटीज शुरू होने से पहले ही खत्म हो सकती है.

क्या है डॉक्टरों का कहना प्लांट-बेस्ड डायट से डायबिटीज खत्म होने के दावे पर डॉक्टरों की अलग राय है और मरीजों की अलग राय. इसे आजमा चुके बहुत से मरीजों ने गूगल में रिव्यू देते हुए लिखा कि है इससे उन्हें फायदा हुआ है. वहीं डॉक्टरों की सोच एकदम अलग है. इंसुलिन रेसेप्टर डिफेक्ट की वजह से होने वाली डायबिटीज ही डायट से ठीक हो सकती है

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य और सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ श्रीकांत शर्माने इस बारे में विस्तार से बात की.उनका मानना है कि अगर वजन की वजह से डायबिटीज हुआ हो सिर्फ तभी ये किसी खास डायट से ठीक हो सकता है. डॉ शर्मा बताते हैं- डायबिटीज के इलाज से पहले उसका पूरा सिस्टम समझें कि ये कैसे काम करता है. शरीर के भीतर पैंक्रियाज में बीटा सेल्स होती हैं. ये सेल इंसुलिन उत्सर्जित करती हैं. जब हम खाना खाते हैं तो शुगर बनती है. ये इंसुलिन उसी शुगर को कंट्रोल करने का काम करती है. कई बार इंसुलिन पैदा करने वाली यही बीटा सेल्स कम या खत्म हो जाती हैं. ऐसे में खाने पर शरीर में बनने वाली शुगर अनियमित हो जाती है क्योंकि इंसुलिन बनाने वाली बीटा सेल्स ही नहीं हैं. तब दवा लेने पर शुगर कंट्रोल में रहता है लेकिन डायबिटीज खत्म नहीं होती क्योंकि किसी भी दवा या खुराक में बीटा सेल्स बनाने की (लिखे जाने की तारीख तक) ताकत नहीं.
यहां कारगर है डायटडॉ श्रीकांत शर्माके अनुसार इंसुलिन निकलने के बाद रेसेप्टर तक जाती है जो कि शरीर में 4 जगहों पर होते हैं- मसल, फैट सेल्स, लिवर और किडनी. इंसुलिन अपने रेसेप्टर में फिट होकर शुगर को नियंत्रित करती है. वजन बढ़ने पर ये रेसेप्टर ठीक से काम नहीं कर पाते हैं. तब शरीर में इंसुलिन बनती तो है लेकिन रेसेप्टर के साथ क्लब नहीं हो पाती है. इस अवस्था को इंसुलिन रेजिस्टेंस कहते हैं और ये डायबिटीज है इंसुलिन रेसेप्टर डिफेक्ट डायबिटीज. जैसे ही मरीज वजन कम करता है, रेसेप्टर अपने-आप काम करने लगते हैं, इंसुलिन उसमें क्लब होने लगती है और डायबिटीज ठीक हो जाता है. यानी किसी भी तरह की डायट से सिर्फ एक ही तरह का डायबिटीज ठीक हो सकता है, इसके अलावा कुछ भी नहीं.

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